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पाण्डुलिपियों की जानकारी देते हुए.. 





 सागर विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित, 
 गाडरवारा

डॉ. अजय जायसवाल का परिचय

डॉ. जायसवाल हिंदी साहित्य से एम. ए. हैं, तथा इनका पी. एच. डी. वर्क हिंदी पत्रकारिता पर आधारित है। पर्यावरण तथा सामाजिक संबंधों के अन्वेषण तथा भारतीय संस्कृति में अटूट रूचि रखने वाले डॉ. जायसवाल के व्यक्तिगत संग्रह में ऐतिहासिक महत्व रखने वाली हज़ारों मुद्राएं संरक्षित हैं इनके संग्रह में पाषाण युग, ताम्र-पाषाण युग के अस्त्र-शस्त्रों के साथ ही प्राचीन एवं मध्य युगीन जीवन उपयोगी वस्तुओं का विस्मित कर देने वाला संग्रह मौजूद है। इन्होंने नर्मदा-घाटी में लाखों-करोड़ों वर्ष पुराने जीवों एवं वनस्पतियों के जीवाश्मों की कई महत्वपूर्ण खोजें की हैं पुरातत्व के संग्रह, ज्ञान को अर्जित और उसे प्रसारित करने का शौक उन्हें अपने माता-पिता से प्राप्त है। जिसका उपयोग वे जान-जाग्रति हेतु करते हैं। डॉ. जायसवाल काव्य, गीत, लेख, शोध,-पत्र आदि के रचियता होने के साथ-साथ ही "ध्यान-शिक्षक" के रूप में भारतीय अध्यात्म एवं समृद्ध सांस्कृतिक चेतना के प्रसार के संवाहक हैं।
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